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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¿à¤¸à¥ वà¥à¤¯à¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥ पà¥à¤¶à¤¾à¤ à¤à¥ दà¥à¤à¤à¤° हमà¥à¤ à¤à¥à¤¯à¤¾ पता à¤à¤²à¤¤à¤¾ हà¥?
Answer:
किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर समाज में उसके अधिकार और दर्जे को निश्चित किया जाता है।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ बà¥à¤à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤²à¥ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥ सॠà¤à¥à¤ à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ à¤à¥à¤¯à¥à¤ नहà¥à¤ à¤à¤°à¥à¤¦ रहा था?
Answer:
à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ बà¥à¤à¤¨à¥ वालॠसà¥à¤¤à¥à¤°à¥ सॠà¤à¥à¤ à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ à¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ नहà¥à¤ à¤à¤°à¥à¤¦ रहा था à¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ à¤à¤¸à¤à¤¾ à¤à¤µà¤¾à¤¨ बà¥à¤à¤¾ à¤à¤² हॠमà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤°à¤¾à¤¸ बना था। à¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ मà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ à¤à¥ समय à¤à¤¸ à¤à¤° मà¥à¤ सà¥à¤¤à¤ à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤µà¤§à¤¾à¤¨ हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ à¤à¤¸à¤à¥ परिवारवालà¥à¤ à¤à¥ हाथ à¤à¤¾ लà¥à¤ न à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤ à¤à¤° न हॠपानॠपà¥à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ à¤à¤¸à¥ मà¥à¤ वह सà¥à¤¤à¥à¤°à¥ à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥à¤ बà¥à¤à¤¨à¥ बाà¤à¤¼à¤¾à¤° à¤à¤²à¥ à¤à¤ । लà¥à¤à¥à¤ à¤à¥ यह बहà¥à¤¤ à¤à¥à¤£à¤¾à¤¸à¥à¤ªà¤¦ बात लà¤à¥à¥¤ à¤à¤¨à¤à¥ ठनà¥à¤¸à¤¾à¤° वह à¤à¤¾à¤¨ बà¥à¤à¤à¤° लà¥à¤à¥à¤ à¤à¤¾ धरà¥à¤® नषà¥à¤ à¤à¤° रहॠथॠà¤à¤¸à¤²à¤¿à¤ à¤à¥à¤ à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ नहà¥à¤ à¤à¤°à¥à¤¦ रहा था।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¸ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥ à¤à¥ दà¥à¤à¤à¤° लà¥à¤à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤¸à¤¾ लà¤à¤¾?
Answer:
उस स्त्री को देखकर लेखक को उससे सहानुभूति हुई और दु:ख भी हुआ। वह उसके दुख को दूर करना भी चाहता था पर उसकी पोशाक अड़चन बन रही थी।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¸ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥ à¤à¥ लड़à¤à¥ à¤à¥ मà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤£ à¤à¥à¤¯à¤¾ था?
Answer:
उस स्त्री के लड़के की मृत्यु एक साँप के काटने से हुई। जब वह मुँह-अँधेरे खेत से पके खरबूज़े चुन रहा था।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° à¤à¤-दॠपà¤à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ दà¥à¤à¤¿à¤ −
बà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ à¤à¥à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¤§à¤¾à¤° नहà¥à¤ दà¥à¤¤à¤¾?
Answer:
बुढ़िया बहुत गरीब थी। अब बेटा भी नहीं रहा तो लोगों को अपने पैसे लौटने की संभावना नहीं दिखाई दी। इसलिए कोई भी उसे उधार नहीं दे रहा था।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥ à¤à¥à¤µà¤¨ मà¥à¤ पà¥à¤¶à¤¾à¤ à¤à¤¾ à¤à¥à¤¯à¤¾ महतà¥à¤µ हà¥?
Answer:
पà¥à¤¶à¤¾à¤ à¤à¤¾ हमारॠà¤à¥à¤µà¤¨ मà¥à¤ बहà¥à¤¤ महतà¥à¤µ हà¥à¥¤ पà¥à¤¶à¤¾à¤ मातà¥à¤° शरà¥à¤° à¤à¥ ढà¤à¤¨à¥ à¤à¥ लिठनहà¥à¤ हà¥à¤¤à¥ हॠबलà¥à¤à¤¿ यह मà¥à¤¸à¤® à¤à¥ मार सॠबà¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¥¤ पà¥à¤¶à¤¾à¤ सॠमनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥ हà¥à¤¸à¤¿à¤¯à¤¤, पद तथा समाठमà¥à¤ à¤à¤¸à¤à¥ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ à¤à¤¾ पता à¤à¤²à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ पà¥à¤¶à¤¾à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥ वà¥à¤¯à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¥ निà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥ हà¥à¥¤ à¤à¤¬ हम à¤à¤¿à¤¸à¥ सॠमिलतॠहà¥à¤, तॠपहलॠà¤à¤¸à¤à¥ पà¥à¤¶à¤¾à¤ सॠपà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤¤à¥ हà¥à¤ तथा à¤à¤¸à¤à¥ वà¥à¤¯à¤à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ à¤à¤¾ ठà¤à¤¦à¤¾à¤à¤¼à¤¾ लà¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ पà¥à¤¶à¤¾à¤ à¤à¤¿à¤¤à¤¨à¥ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¶à¤¾à¤²à¥ हà¥à¤à¥ लà¥à¤ à¤à¤¤à¤¨à¥ ठधिठलà¥à¤ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤à¥à¤à¥¤
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
पà¥à¤¶à¤¾à¤ हमारॠलिठà¤à¤¬ बà¤à¤§à¤¨ à¤à¤° ठड़à¤à¤¨ बन à¤à¤¾à¤¤à¥ हà¥?
Answer:
पोशाक हमारे लिए बंधन और अड़चन तब बन जाती है जब हम अपने से कम दर्ज़े या कम पैसे वाले व्यक्ति के साथ उसके दुख बाँटने की इच्छा रखते हैं। लेकिन उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं और उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
लà¥à¤à¤ à¤à¤¸ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥ à¤à¥ रà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤£ à¤à¥à¤¯à¥à¤ नहà¥à¤ à¤à¤¾à¤¨ पाया?
Answer:
लà¥à¤à¤ à¤à¥ पास à¤à¤¸ बà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ रà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤£ à¤à¤¾à¤¨ सà¤à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤ à¤à¤ªà¤¾à¤¯ नहà¥à¤ था। लà¥à¤à¤ à¤à¥ पà¥à¤¶à¤¾à¤ à¤à¤¸à¤à¥ à¤à¤¸ à¤à¤·à¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¾à¤¨ सà¤à¤¨à¥ मà¥à¤ ठड़à¤à¤¨ पà¥à¤¦à¤¾ à¤à¤° रहॠथॠà¤à¥à¤¯à¥à¤à¤à¤¿ फà¥à¤à¤ªà¤¾à¤¥ पर à¤à¤¸ बà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ साथ बà¥à¤ à¤à¤° लà¥à¤à¤ à¤à¤¸à¤¸à¥ à¤à¤¸à¤à¥ दà¥:ठà¤à¤¾ à¤à¤¾à¤°à¤£ नहà¥à¤ पà¥à¤ सà¤à¤¤à¤¾ था। à¤à¤¸à¤¸à¥ à¤à¤¸à¤à¥ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा à¤à¥ ठà¥à¤¸ पहà¥à¤à¤à¤¤à¥, à¤à¤¸à¥ à¤à¥à¤à¤¨à¤¾ पड़ता।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¤à¤µà¤¾à¤¨à¤¾ ठपनॠपरिवार à¤à¤¾ निरà¥à¤µà¤¾à¤¹ à¤à¥à¤¸à¥ à¤à¤°à¤¤à¤¾ था?
Answer:
भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में खरबूज़ों को बोकर परिवार का निर्वाह करता था। खरबूज़ों की डालियाँ बाज़ार में पहुँचाकर लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता था।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
लड़à¤à¥ à¤à¥ मà¥à¤¤à¥à¤¯à¥ à¤à¥ दà¥à¤¸à¤°à¥ हॠदिन बà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ बà¥à¤à¤¨à¥ à¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¤² पड़à¥?
Answer:
लड़के की मृत्यु पर सब कुछ खर्च हो गया। बुढ़िया बहुत गरीब थी। उसके पास न तो कुछ खाने को था और न पैसा था। लड़के के छोटे-छोटे बच्चे भूख से परेशान थे, बहू को तेज़ बुखार था। ईलाज के लिए भी पैसा नहीं था। इन्हीं सब कारणों से पैसे पाने की कोशिश में वह दूसरे ही दिन खरबूज़े बेचने चल दी।
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Question 6:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (25-30 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
बà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ दà¥:ठà¤à¥ दà¥à¤à¤à¤° लà¥à¤à¤ à¤à¥ ठपनॠपड़à¥à¤¸ à¤à¥ सà¤à¤à¥à¤°à¤¾à¤à¤¤ महिला à¤à¥ याद à¤à¥à¤¯à¥à¤ à¤à¤?
Answer:
लेखक के पड़ोस में एक संभ्रांत महिला रहती थी। उसके पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी और बुढ़िया के पुत्र की भी मृत्यु हो गई थी परन्तु दोनों के शोक मनाने का ढंग अलग-अलग था। बुढ़िया को आर्थिक तंगी, भूख, बीमारी, मुँह खोले खड़ी थी। वह घर बैठ कर रो नहीं सकती थी। मानों उसे इस दुख को मनाने का अधिकार ही न था। जबकि संभ्रांत महिला को असीमित समय था। अढ़ाई मास से पलंग पर थी, डॉक्टर सिरहाने बैठा रहता था। लेखक दोनों की तुलना करना चाहता था इसलिए उसे संभ्रांत महिला की याद आई।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
बाà¤à¤¼à¤¾à¤° à¤à¥ लà¥à¤ à¤à¤°à¤¬à¥à¤à¤¼à¥ बà¥à¤à¤¨à¥à¤µà¤¾à¤²à¥ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥ à¤à¥ बारॠमà¥à¤ à¤à¥à¤¯à¤¾-à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¹ रहॠथà¥? ठपनॠशबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤ लिà¤à¤¿à¤à¥¤
Answer:
बाज़ार के लोग खरबूज़े बेचने वाली स्त्री के बारे में तरह-तरह की बातें कह रहे थे। कोई घृणा से थूककर बेहया कह रहा था, कोई उसकी नीयत को दोष दे रहा था, कोई कमीनी, कोई रोटी के टुकड़े पर जान देने वाली कहता, कोई कहता इसके लिए रिश्तों का कोई मतलब नहीं है, परचून वाला कहता, यह धर्म ईमान बिगाड़कर अंधेर मचा रही है, इसका खरबूज़े बेचना सामाजिक अपराध है। इन दिनों कोई भी उसका सामान छूना नहीं चाहता था।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
पास-पड़à¥à¤¸ à¤à¥ दà¥à¤à¤¾à¤¨à¥à¤ सॠपà¥à¤à¤¨à¥ पर लà¥à¤à¤ à¤à¥ à¤à¥à¤¯à¤¾ पता à¤à¤²à¤¾?
Answer:
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को पता चला कि बुढ़िया का जवान पुत्र मर गया था। उसकी पत्नी और बच्चे थे, वह ही घर का खर्च चलाता था। एक दिन खरबूज़े बेचने के लिए खरबूज़े तोड़ रहा था तभी एक साँप ने उसे डस लिया और बहुत इलाज करवाने के बाद भी वह नहीं बचा।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
लड़à¤à¥ à¤à¥ बà¤à¤¾à¤¨à¥ à¤à¥ लिठबà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ माठनॠà¤à¥à¤¯à¤¾-à¤à¥à¤¯à¤¾ à¤à¤ªà¤¾à¤¯ à¤à¤¿à¤?
Answer:
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने जो कुछ वह कर सकती थी सभी उपाय किए। वह पागल सी हो गई। झाड़-फूँक करवाने के लिए ओझा को बुला लाई, साँप का विष निकल जाए इसके लिए नाग देवता की भी पूजा की, घर में जितना आटा अनाज था वह दान दक्षिणा में ओझा को दे दिया। अन्य उपायों में घर का बचा-खुचा सामान भी चला गया परन्तु दुर्भाग्य से लड़के को नहीं बचा पाई।
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Question 4:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
लà¥à¤à¤ नॠबà¥à¤¢à¤¼à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥ दà¥:ठà¤à¤¾ ठà¤à¤¦à¤¾à¤à¤¼à¤¾ à¤à¥à¤¸à¥ लà¤à¤¾à¤¯à¤¾?
Answer:
लेखक उस पुत्र-वियोगिनी के दु:ख का अंदाज़ा लगाने के लिए पिछले साल अपने पड़ोस में पुत्र की मृत्यु से दु:खी माता की बात सोचने लगा जिसके पास दु:ख प्रकट करने का अधिकार तथा अवसर दोनों था परन्तु यह बुढ़िया तो इतनी असहाय थी कि वह ठीक से अपने पुत्र की मृत्यु का शोक भी नहीं मना सकती थी।
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Question 5:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ à¤à¤¾ à¤à¤¤à¥à¤¤à¤° (50-60 शबà¥à¤¦à¥à¤ मà¥à¤) लिà¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¸ पाठà¤à¤¾ शà¥à¤°à¥à¤·à¤ 'दà¥:ठà¤à¤¾ ठधिà¤à¤¾à¤°' à¤à¤¹à¤¾à¤ तठसारà¥à¤¥à¤ हà¥? सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤à¥¤
Answer:
इस पाठ का शीर्षक 'दु:ख का अधिकार' पूरी तरह से सार्थक सिद्ध होता है क्योंकि यह अभिव्यक्त करता है कि दु:ख प्रकट करने का अधिकार व्यक्ति की परिस्थिति के अनुसार होता है। यद्यपि दु:ख का अधिकार सभी को है। गरीब बुढ़िया और संभ्रांत महिला दोनों का दुख एक समान ही था। दोनों के पुत्रों की मृत्यु हो गई थी परन्तु संभ्रांत महिला के पास सहूलियतें थीं, समय था। इसलिए वह दु:ख मना सकी परन्तु बुढ़िया गरीब थी, भूख से बिलखते बच्चों के लिए पैसा कमाने के लिए निकलना था। उसके पास न सहूलियतें थीं न समय। वह दु:ख न मना सकी। उसे दु:ख मनाने का अधिकार नहीं था। इसलिए शीर्षक पूरी तरह सार्थक प्रतीत होता है।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¥à¤¸à¥ वायॠà¤à¥ लहरà¥à¤ à¤à¤à¥ हà¥à¤ पतà¤à¤ à¤à¥ सहसा à¤à¥à¤®à¤¿ पर नहà¥à¤ à¤à¤¿à¤° à¤à¤¾à¤¨à¥ दà¥à¤¤à¥à¤ à¤à¤¸à¥ तरह à¤à¤¾à¤¸ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥à¤ मà¥à¤ हमारॠपà¥à¤¶à¤¾à¤ हमà¥à¤ à¤à¥à¤ सà¤à¤¨à¥ सॠरà¥à¤à¥ रहतॠहà¥à¥¤
Answer:
लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है जिस प्रकार हवा कटी पतंग को अचानक नीचे नहीं गिरने देती है। इसी प्रकार अच्छी पोशाक हमें नीचे नहीं झुकने देती है।
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Question 2:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
à¤à¤¨à¤à¥ लिठबà¥à¤à¤¾-बà¥à¤à¥, à¤à¤¸à¤®-लà¥à¤à¤¾à¤, धरà¥à¤®-à¤à¤®à¤¾à¤¨ सब रà¥à¤à¥ à¤à¤¾ à¤à¥à¤à¤¡à¤¼à¤¾ हà¥à¥¤
Answer:
यह गरीबों पर एक बड़ा व्यंग्य है। अपनी भूख के लिए उन्हें पैसा कमाने रोज़ ही जाना पड़ता है परन्तु कहने वाले उनसे सहानुभूति न रखकर यह कहते हैं कि रोटी ही इनका ईमान है, रिश्ता-नाता इनके लिए कुछ भी नहीं है।
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Question 3:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ à¤à¤¾ à¤à¤¶à¤¯ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤ à¤à¥à¤à¤¿à¤ −
शà¥à¤ à¤à¤°à¤¨à¥, à¤à¤® मनानॠà¤à¥ लिठà¤à¥ सहà¥à¤²à¤¿à¤¯à¤¤ à¤à¤¾à¤¹à¤¿à¤ à¤à¤°... दà¥:à¤à¥ हà¥à¤¨à¥ à¤à¤¾ à¤à¥ à¤à¤ ठधिà¤à¤¾à¤° हà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤
Answer:
शोक करने, गम मनाने के लिए सहूलियत चाहिए। यह व्यंग्य अमीरी पर है क्योंकि अमीर लोगों के पास दुख मनाने का समय और सुविधा दोनों होती हैं। इसके लिए वह दु:ख मनाने का दिखावा भी कर पाता है और उसे अपना अधिकार समझता है। जबकि गरीब विवश होता है। वह रोज़ी रोटी कमाने की उलझन में ही लगा रहता है। उसके पास दु:ख मनाने का न तो समय होता है और न ही सुविधा होती है। इसलिए उसे दु:ख का अधिकार भी नहीं होता है।
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Question 1:
निमà¥à¤¨à¤¾à¤à¤à¤¿à¤¤ शबà¥à¤¦-समà¥à¤¹à¥à¤ à¤à¥ पढ़ॠà¤à¤° समà¤à¥–
(à¤) à¤à¤à¥à¤à¤¾, पतà¤à¥à¤, à¤à¤à¥à¤à¤², ठणà¥à¤¡à¤¾, समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥¤
(à¤) à¤à¤à¤à¤¾, पतà¤à¤, à¤à¤à¤à¤², ठà¤à¤¡à¤¾, सà¤à¤¬à¤à¤§à¥¤
(à¤) ठà¤à¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£, समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤, दà¥à¤ नà¥à¤¨à¥, à¤à¤µà¤¨à¥à¤¨à¥, ठनà¥à¤¨à¥¤
(à¤) सà¤à¤¶à¤¯, सà¤à¤¸à¤¦, सà¤à¤°à¤à¤¨à¤¾, सà¤à¤µà¤¾à¤¦, सà¤à¤¹à¤¾à¤°à¥¤
(à¤) ठà¤à¤§à¥à¤°à¤¾, बाà¤à¤, मà¥à¤à¤¹, à¤à¤à¤, महिलाà¤à¤, मà¥à¤, मà¥à¤à¥¤
धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दॠà¤à¤¿ à¤à¥, à¤à¥, णà¥, नॠà¤à¤° मॠयॠपाà¤à¤à¥à¤ पà¤à¤à¤®à¤¾à¤à¥à¤·à¤° à¤à¤¹à¤²à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ à¤à¤¨à¤à¥ लिà¤à¤¨à¥ à¤à¥ विधियाठतà¥à¤®à¤¨à¥ à¤à¤ªà¤° दà¥à¤à¥à¤– à¤à¤¸à¥ रà¥à¤ª मà¥à¤ या ठनà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¥ रà¥à¤ª मà¥à¤à¥¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤ दà¥à¤¨à¥à¤ मà¥à¤ सॠà¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ तरà¥à¤à¥ सॠलिà¤à¤¾ à¤à¤¾ सà¤à¤¤à¤¾ हॠà¤à¤° दà¥à¤¨à¥à¤ हॠशà¥à¤¦à¥à¤§ हà¥à¤à¥¤ हाà¤, à¤à¤ पà¤à¤à¤®à¤¾à¤à¥à¤·à¤° à¤à¤¬ दॠबार à¤à¤ तॠठनà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤ नहà¥à¤ हà¥à¤à¤¾; à¤à¥à¤¸à¥– ठमà¥à¤®à¤¾, ठनà¥à¤¨ à¤à¤¦à¤¿à¥¤ à¤à¤¸à¥ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤° à¤à¤¨à¤à¥ बात यदि ठà¤à¤¤à¤¸à¥à¤¥ य, र, ल, व à¤à¤° à¤à¤·à¥à¤® श, ष, स, ह à¤à¤¦à¤¿ हà¥à¤ तॠठनà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤ हà¥à¤à¤¾, परà¤à¤¤à¥ à¤à¤¸à¤à¤¾ à¤à¤à¥à¤à¤¾à¤°à¤£ पà¤à¤à¤® वरà¥à¤£à¥à¤ मà¥à¤ सॠà¤à¤¿à¤¸à¥ à¤à¥ à¤à¤ वरà¥à¤£ à¤à¥ à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ हॠसà¤à¤¤à¤¾ हà¥; à¤à¥à¤¸à¥– सà¤à¤¶à¤¯, सà¤à¤°à¤à¤¨à¤¾ मà¥à¤ 'नà¥', सà¤à¤µà¤¾à¤¦ मà¥à¤ 'मà¥' à¤à¤° सà¤à¤¹à¤¾à¤° मà¥à¤ 'à¤à¥'।
(à¤) यह à¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ हॠठनà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¤¾ à¤à¤° (à¤) यह à¤à¤¿à¤¹à¥à¤¨ हॠठनà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤ à¤à¤¾à¥¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤ à¤à¥à¤°à¤®à¤¶: बिà¤à¤¦à¥ à¤à¤° à¤à¤à¤¦à¥à¤°-बिà¤à¤¦à¥ à¤à¥ à¤à¤¹à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ ठनà¥à¤¸à¥à¤µà¤¾à¤° à¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¯à¥à¤ वà¥à¤¯à¤à¤à¤¨ à¤à¥ साथ हà¥à¤¤à¤¾ हॠठनà¥à¤¨à¤¾à¤¸à¤¿à¤ à¤à¤¾ सà¥à¤µà¤° à¤à¥ साथ।
Answer:
à¤à¥, à¤à¥, णà¥, नॠà¤à¤° मॠयॠपाà¤à¤à¥à¤ पà¤à¤à¤®à¤¾à¤à¥à¤·à¤° à¤à¤¹à¤²à¤¾à¤¤à¥ हà¥à¤à¥¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤ à¤à¥ पढ़तॠसमय à¤à¤¸à¥ à¤à¤° पà¤à¤à¤®à¤¾à¤à¥à¤·à¤° à¤à¥ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सॠदà¥à¤à¥à¤à¥¤ निà¤à¥ à¤à¥à¤ à¤à¤° à¤à¤¦à¤¾à¤¹à¤°à¤£ दिठà¤à¤¾ रहॠहà¥à¤à¥¤ à¤à¤¨à¥à¤¹à¥à¤ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सॠदà¥à¤à¥à¤ -
à¤à¤à¤à¤¾ | à¤à¤¡à¥.à¤à¤¾ |
à¤à¤à¤¡à¤¾ | à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾ |
à¤à¤à¤à¤² | à¤à¤à¤¼à¥à¤à¤² |
मà¤à¤¦ | मनà¥à¤¦ |
सà¤à¤¬à¤² | समà¥à¤¬à¤² |
Page No 11:
Question 2:
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए −
ईमान |
|
बदन |
|
अंदाज़ा |
|
बेचैनी |
|
गम |
|
दर्ज़ा |
|
ज़मीन |
|
ज़माना |
|
बरकत |
Answer:
ईमान |
ज़मीर, विवेक |
बदन |
शरीर, तन, देह |
अंदाज़ा |
अनुमान |
बेचैनी |
व्याकुलता, अधीरता |
गम |
दुख, कष्ट, तकलीफ |
दर्ज़ा |
स्तर, कक्षा |
ज़मीन |
धरती, भूमि, धरा |
ज़माना |
संसार, जग, दुनिया |
बरकत |
वृद्धि, बढ़ना |
Page No 12:
Question 3:
निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए −
उदाहरण : बेटा-बेटी
Answer:
फफक |
फफककर |
दुअन्नी |
चवन्नी |
ईमान |
धर्म |
आते |
जाते |
छन्नी |
ककना |
पास |
पड़ोस |
झाड़ना |
फूँकना |
पोता |
पोती |
दान |
दक्षिणा |
मुँह |
अँधेरे |
Page No 12:
Question 4:
पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए −
बंद दरवाज़े खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
Answer:
1. बंद दरवाज़े खोल देना − प्रगति में बाधक तत्व हटने से बंद दरवाज़े खुल जाते हैं।
2. निर्वाह करना − परिवार का भरण-पोषण करना
3. भूख से बिलबिलाना − बहुत तेज भूख लगना (व्याकुल होना)
4. कोई चारा न होना − कोई और उपाय न होना
5. शोक से द्रवित हो जाना − दूसरों का दु:ख देखकर भावुक हो जाना।
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Question 5:
निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए −
(क) |
छन्नी-ककना |
अढ़ाई-मास |
पास-पड़ोस |
दुअन्नी-चवन्नी |
मुँह-अँधेरे |
झाड़ना-फूँकना |
(ख) |
फफक-फफककर |
बिलख-बिलखकर |
तड़प-तड़पकर |
लिपट-लिपटकर |
Answer:
(क)
1. छन्नी-ककना − मकान बनाने में उसका छन्नी-ककना तक बिक गया।
2. अढ़ाई-मास − वह विदेश में अढ़ाई-मास ही रहा।
3. पास-पड़ोस − पास-पड़ोस अच्छा हो तो समय अच्छा कटता है।
4. दुअन्नी-चवन्नी − आजकल दुअन्नी-चवन्नी को कौन पूछता है।
5. मुँह-अँधेरे − वह मुँह-अँधेरे उठ कर चला गया।
6. झाड़-फूँकना − गाँवों में आजकल भी लोग झाँड़ने-फूँकने पर विश्वास करते हैं।
(ख)
1. फफक-फफककर − बच्चे फफक-फफककर रो रहे थे।
2. तड़प-तड़पकर − आंतकियों के लोगों पर गोली चलाने से वे तड़प-तड़पकर मर रहे थे।
3. बिलख-बिलखकर − बेटे की मृत्यु पर वह बिलख-बिलखकर रो रही थी।
4. लिपट-लिपटकर − बहुत दिनों बाद मिलने पर वह लिपट-लिपटकर मिली।
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Question 6:
निमà¥à¤¨à¤²à¤¿à¤à¤¿à¤¤ वाà¤à¥à¤¯ सà¤à¤°à¤à¤¨à¤¾à¤à¤ à¤à¥ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ सॠपढ़िठà¤à¤° à¤à¤¸ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤° à¤à¥ à¤à¥à¤ à¤à¤° वाà¤à¥à¤¯ बनाà¤à¤ :
(à¤) |
1 |
लड़à¤à¥ सà¥à¤¬à¤¹ à¤à¤ तॠहॠà¤à¥à¤ सॠबिलबिलानॠलà¤à¥à¥¤ |
2 |
à¤à¤¸à¤à¥ लिठतॠबà¤à¤¾à¤ à¤à¥ दà¥à¤à¤¾à¤¨ सॠà¤à¤ªà¤¡à¤¼à¤¾ लाना हॠहà¥à¤à¤¾à¥¤ |
|
3 |
à¤à¤¾à¤¹à¥ à¤à¤¸à¤à¥ लिठमाठà¤à¥ हाथà¥à¤ à¤à¥ à¤à¤¨à¥à¤¨à¥-à¤à¤à¤¨à¤¾ हॠà¤à¥à¤¯à¥à¤ न बिठà¤à¤¾à¤à¤à¥¤ |
(à¤) |
1 |
ठरॠà¤à¥à¤¸à¥ नà¥à¤¯à¤¤ हà¥à¤¤à¥ हà¥, ठलà¥à¤²à¤¾ à¤à¥ वà¥à¤¸à¥ हॠबरà¤à¤¤ दà¥à¤¤à¤¾ हà¥à¥¤ |
2 |
à¤à¤à¤µà¤¾à¤¨à¤¾ à¤à¥ à¤à¤ दफॠà¤à¥à¤ª हà¥à¤ तॠफिर न बà¥à¤²à¤¾à¥¤ |
Answer:
(क)
1 |
लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे। बुढ़िया के पोता-पोती भूख से बिलबिला रहे थे। |
2 |
उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा। बच्चों के लिए खिलौने लाने ही होंगे। |
3 |
चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ। उसने बेटी की शादी के लिए खर्चा करने का इरादा किया चाहे इसके लिए उसका सब कुछ ही क्यों न बिक जाए। |
(ख)
1 |
अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकत देता है। जैसा दूसरों के लिए करोगे वैसा ही फल पाओगे। |
2 |
भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला। जो समय निकल गया तो फिर मौका नहीं मिलेगा। |
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