अनुच्छेद मलखें :- "जीिन मे खेलकूद का महत्ि" (150 शब्द)

उत्तर :- 

जीवन में खेलकूद का महत्व

ऐसा कहा जाता था कि – 
खेलोगे-कूदोगे, होगे ख़राब , पढ़ोगे-लिखोगे, बनोगे नवाब |

आज यह मान्यता बदल चुकी है | खेल-कूद को शिक्षा का अनिवार्य अंग मानकर महत्त्व दिया जाता है | समाज में खिलाड़ियों को आदर-मान प्राप्त होता है | वे बच्चों के आदर्श बन गये हैं | शारीरिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले खेल-कूद को जीवन में महत्त्व दिया ही जाना चाहिए |

खेलों से शारीर स्वस्थ और शक्तिशाली बनता है | रक्त-संचार बढ़ता है | मांसपेशियाँ और हड्डियाँ मजबूत बनती है | पसीना निकलने से शारीर से विष-तत्व बहार निकल जाते है | पाचन-क्रिया भी सुचारु हो जाती है | इस तरह शरीर चुस्त और फुर्तीला बना रहता है |

बच्चों के लिए तो खेल भोजन जितना ही महत्त्व रहता है | बच्चे और खेल एक-दुसरे से अभिन्न रूप से जुड़े है | बच्चे की यदि खेल में रूचि न हो तो निश्चय ही यह चिंता का विषय बन जाता है | शारीरिक विकास की तो नींव होती ही है, साथ ही यह बौद्धिक और भावनात्मक विकास के लिए भी अवश्यक हैं | खेल मन को रमाते हैं | उत्फुल्लता का संचार करके भावनात्मक संतुष्टि प्रदान करता हैं | सामूहिक खेल बौद्धिक विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं | इससे आपसी-तालमेल और सूझ-बुझ विकसित होती है | सारे तनावों को भुलाकर मन जब खेल में रम जाता  है तो व्यक्ति जीवन के दुःख-दर्द भूल जाता है | इस प्रकार खेल तनाव-मुक्त कर हमें मानसिक शांति भी प्रदान करता है |

खेलो का एक उद्देश्य संघर्षो से उबरने और उनका सामना करने की क्षमता पैदा करना भी है | ‘खेल-भावना ’ जीवन में विपरीत स्थितियों का मुकाबला करने का साहस देती है | विषम परिस्थितियों में भी निराशा और उदासी उसे नही घेरती है | संघर्षपूर्ण और तनावों से घिरा जीवन में खेल टॉनिक का काम करते है | हम सुख-दुःख को संभव से लेना सीखते है |

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