An essay in Hindi on 'KHELO KA MEHETTVA'

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
 
मनुष्य का खेलों से आज का नाता नहीं है। वह प्राचीनकाल से ही खेलों के महत्व को जानता था और उन्हें  अपने जीवन में विशेष स्थान देता था। इसका उदाहरण अखाड़े में मलयुद्ध करने वाले पहलवान के रूप में देखा जा सकता है, शस्त्र विद्या जिसका हमारे वीरों ने युद्ध भूमि में प्रयोग किया। उस समय युवकों को इसका कड़ा अभ्यास करवाया जाता था ताकि वे युद्ध में अच्छा प्रदर्शन कर सके है। इसके अतिरिक्त वे अपनी कला का प्रदर्शन जनता के सामने भी करते थे। ये उस समय के खेल हैं, जो सुरक्षा के अतिरिक्त मनोरंजन भी करते थे।  
अतः इससे ही हमें समझ लेना चाहिए कि खेलों का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। खेल ही ऐसा माध्यम है, जो हमारा मनोरंजन करते हैं। वे हमारे जीवन में व्याप्त बोरियत को दूर करते हैं। उसमें उत्साह और स्फूर्ति का समावेश करते हैं। खेल का मात्र इतना ही महत्व हमारे जीवन में नहीं है। इससे भी बहुत अधिक महत्व है। यह हमारे शरीर तथा मस्तिष्क को स्वस्थ रखते हैं।  खेलने से हमारा रक्त-संचार बढ़ता है, इससे ऑक्सीजन पूरे शरीर को मिलती है। माँस-पेशियाँ के साथ-साथ शरीर भी मज़बूत होता है। अतः हमें खेलों के महत्व को समझना चाहिए और हमेशा खेलते रहना चाहए।

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मानव-जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियाँ और तनाव है । लोग विभिन्न प्रकार की चिंताओं से घिरे रहते हैं । खेल-कूद हमें इन परेशानियों, तनावों एवं चिंताओं से मुक्त कर देती है । खेल-कूद को जीवन का आवश्यक अंग मानने वाले जीवन में आने वाली समस्याओं का सामना करने में सक्षम होते हैं ।

संत रामकृष्ण परमहंस का कथन है कि ईश्वर ने संसार की रचना खेल-खेल में की है । अर्थात् परमात्मा को खेल बहुत पसंद है । तो फिर परमात्मा की कृति मनुष्य खेलों से क्यों दूर रहे! खेल खेलकर ही लोग जान सकते हैं कि जीवन एक खेल है । जीवन को बहुत गंभीर और तनावयुक्त नहीं बनाना चाहिए । सभी हँसते-खेलते जिएँ तो संसार की बहुत-सी परेशानियाँ मिट जाएँ । अत: जीवन में खेल-कूद का महत्त्वपूर्ण स्थान होना चाहिए ।
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