annuchad on prakritik saundarya
हम आपको इस विषय पर कुछ पंक्तियाँ दे रहे हैं। इस आधार पर स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।
प्रकृति ईश्वर की दी हुई अनुपम देन है। इस देन के सहारे ही मनुष्य इस धरती पर अपने अस्तित्व को बना पाया है। प्रकृति का रुप मनुष्य द्वारा नहीं बनाया गया है परन्तु वह स्वयं ही पल-पल अपने सौंदर्य से मनुष्य को मोहित करती आई है। प्रकृति के विविध रुप विश्व के कोने-कोने में बिखरे पड़े है। इसके उपादान वृक्ष, झरने, पहाड़, बादल, मौसम, पशु-पक्षी, हरियाली, नदी, समुद्र इत्यादि हैं। इनके कारण ही इसकी छटा हर जगह अलग-अलग और अभूतपूर्व होती है। यदि यह नहीं हों तो मनुष्य जीवन को जी ही नहीं पाए। प्रकृति हमारे जीवन को कई रुपों से संवारती और हमारा पालन-पोषण करती है। कवियों ने प्रकृति के इस सौंदर्य को अपनी रचनाओं में आवश्यक स्थान दिया है।