Anuched on topic swasth jeevan ka rajyog
मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
स्वास्थ्य जीवन का राजयोग। राजयोग अर्थात आत्म-विशेषण, आत्म-चिंतन अथवा आत्ममंथन। स्वस्थ जीवन ही मनुष्य के सुख का आधार है। मनुष्य यदि स्वस्थ है, तो राजयोग है। मनुष्य यदि अस्वस्थ है, तो सब कुछ होने के बाद भी वह गरीब है। स्वस्थ जीवन से स्वस्थ मस्तिष्क उपजता है। आज के आधुनिक युग में मनुष्य की जिन्दगी भाग-दौड़ वाली है। ऐसे में स्वस्थ शरीर का होना अत्यंत आवश्यक है। योग से स्वास्थ्य ठीक रहता है और अध्यात्म से मन प्रसन्न रहता है। इस प्रकार तन और मन दोनों संतुलन में रहते हैं। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही समाज के विकास में अपना योगदान दे सकता है। योग से शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है और अध्यात्म अपनाने से मन में एकाग्रता और विचारशीलता बढ़ती है। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। स्वस्थ समाज के निर्माण में स्वस्थ नागरिकों की भूमिका अहम होती है।
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स्वास्थ्य जीवन का राजयोग। राजयोग अर्थात आत्म-विशेषण, आत्म-चिंतन अथवा आत्ममंथन। स्वस्थ जीवन ही मनुष्य के सुख का आधार है। मनुष्य यदि स्वस्थ है, तो राजयोग है। मनुष्य यदि अस्वस्थ है, तो सब कुछ होने के बाद भी वह गरीब है। स्वस्थ जीवन से स्वस्थ मस्तिष्क उपजता है। आज के आधुनिक युग में मनुष्य की जिन्दगी भाग-दौड़ वाली है। ऐसे में स्वस्थ शरीर का होना अत्यंत आवश्यक है। योग से स्वास्थ्य ठीक रहता है और अध्यात्म से मन प्रसन्न रहता है। इस प्रकार तन और मन दोनों संतुलन में रहते हैं। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही समाज के विकास में अपना योगदान दे सकता है। योग से शरीर स्वस्थ और निरोगी रहता है और अध्यात्म अपनाने से मन में एकाग्रता और विचारशीलता बढ़ती है। एक संतुलित मन और स्वस्थ शरीर ही अच्छी शिक्षा ग्रहण कर सकता है। स्वस्थ समाज के निर्माण में स्वस्थ नागरिकों की भूमिका अहम होती है।