Balgobin bhagat path ke aadhar par gramin jeevan ki taraf sajeev jhanki prastut kijiye
बालगोबिन भगत सच्चे अर्थ में साधु थे व्हेन नाममात्र वस्त्र पहनते थे उन्होंने सिर पर कन्फर्टी टोपी धारण कर रखी थी वह कबीर दास को साहब मानते थे खेती में जो कुछ भी पैदा होता उसे गांव से दूर कबीरपंथी मठ में देहाती और प्रसाद के रूप में जो कुछ भी मिलता उसे घर लाकर अपना गुजारा करते थे।
वह अपनी पुत्रवधू को विधवा का जीवन जीने के विपरीत थे और वह चाहते थे कि उसका दूसरा विवाह किया जाए।