Explain

भादों की वह अँधेरी अधरतिया।  अभी, थोड़ी ही देर पहले मूसलाधार वर्षा ख़त्म हुई।  बादलों की गरज, बिजली की तड़प में आपने कुछ नहीं सुना हो, किंतु अब झिल्ली की झंकार या दादुरों की टर्र - टर्र बालगोबिन भगत के संगीत को अपने कोलाहल में डुबो नहीं सकतीं।  उनकी खँजड़ी डिमक - डिमक बज रही है और वे गा रहे हैं -`गोदी में पियवा, चमक उठे सखिया, चिहुँक उठे ना !` हाँ, पिया तो गोद  में ही है, किंतु वह समझती है, वह अकेली है, चमक उठती है, चिहुँक उठती है।  उसी भरे-बदलोंवाले भादों की आधी रात में उनका गाना अँधेरे में अकस्मात कौंध उठनेवाली बिजली की तरह किसे न चौंका देता ? अरे, अब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है, बालगोबिन भगत का संगीत जाग रहा है, जगा रहा है।  तेरी गठरी में लागा चोर, मुसाफिर जाग जारा।

Iska arth hai premika ka priyatam uski god me hi sir rakhke soya hai par vah uske prem me itni magna ho jati hai ki usse lagata hai ki vah akeli hai aur hairan ho jati hai Iska dusra meaning le sakte hai ki parmatma aatma ke pass hi vidyaman hai phir bhi vah usse dhundh rahi hai
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