Gau hatya per niband

गौ  हत्या पर प्रतिबन्ध क्यों लगना जरूरी है? इस विषय में बचपन में पढ़ी शेखचिल्ली की कहानी याद आती है कि उसके पास एक मुर्गी थी जो रोज सोने का अंडा देती थी, तो उसने सोचा उसके पेट से सारे अंडे एक साथ निकाल लूं, इस तरह मुर्गी का पेट काट दिया। मुर्गी भी गयी और उसके रोज मिलने वाले अंडे भी। इसी प्रकार गाय जैसी उपयोगी पशु को काटकर उससे जिंदगी भर होने वाले लाभ से हाथ धो बैठते हैं, जाने क्यों कुछ अकल के दुश्मनों ने गायों के कत्लखानों पर लगे प्रतिबन्ध हो हटाने की हिमाकत की।एक मूक पशु को मारकर जो हमें हासिल होता है वह बहुत थोडा है यही पशु हमें जिंदगी भर और मृत्यु पर्यन्त भी लाभ पहुंचाते हैं।
  • 0
गाय जैसा उपयोगी पशु कोई है ही नहीं। इतना तो सब समझते ही हैं कि घर के भोजन में स्वाद इसलिए होता है कि प्रेम के साथ अपने परिजनों के लिए बनाया होता है, इसी तरह गाय परिवार का हिस्सा मानी जाती है और अपने बच्चे के अतिरिक्त घर के सदस्यों को भी प्रेम से दूध देती है,  भैंस अगर उसके बच्चे को दूध नहीं दिया जाय तो दूध देने से इनकार कर देती है तब कुछ दूधवाले उसको इंजेक्शन लगाकर दूध दुहते है यानिकी वो मर्जी से नहीं, जबरदस्ती से दूध देती है। गाय को ऐसे इंजेक्शन की कभी जरूरत नहीं पड़ती, भैंस एक आलसी जानवर है इसके दूध में फैट ज्यादा होता है इसलिए आलस्य भी। जबकि गाय का दूध ज्यादा स्फूर्तिदायक होता है गाय दूध देने के बदले हमसे सिर्फ भूसे के भोजन की, सब्जी काटने में बचे छिलके  या घास की ही आशा करती है बदले में न सिर्फ दूध बल्कि अपने गर्भ से गाय और बैल भी देती है, जो पुनः बहुत उपयोगी हैं बैल हमसे ट्रेक्टर में लगने वाले  मंहगे डीज़ल (जिसके दाम अनवरत बढ़ते ही जाते हैं ) नहीं मांगता अपितु घास फूस में ही संतुष्ट रहकर, कहते हैं न कोल्हू के बैल की तरह काम करता रहता है।  हमारे परिवारों में भी खाना बनाते समय पहली रोटी गाय की और आखरी रोटी कुत्ते की बनाने का प्रावधान माना गया है। गाय का दूध अमृत के समान है दूध, दही, घी, माखन यही तो सबसे सात्विक भोजन है मनुष्य के लिए, क्योंकि गाय सात्विक पशु है और कभी मांसाहार को छू भी नहीं सकती। बच्चों के लिए तो गाय के दूध से अधिक गुणकारी कुछ है ही नहीं फिर आजकल कितने बच्चे दूध पीने में रूचि नहीं रखते।
  • 0
गाय के दूध के अलावा उसका मूत्र ( जिसमे चैतन्य की मात्रा पायी जाती है) तक औषधि का भण्डार है गोमूत्र पीने से कितनी बीमारियाँ दूर होती हैं, इस विषय में जानकारी के लिए विपुल साहित्य उपलब्ध है अथर्व वेद, चरक संहिता,सुश्रुत संहिता के में उल्लेख है कि उच्च रक्तचाप, शुगर की बिमारी, अस्थमा, एक्जीमा, केंसर  जैसे रोगों का इलाज गोमूत्र से संभव है  , गाय के गोबर से न सिर्फ कंडे, बल्कि  गोबर गैस भी बनती है जो ईंधन का काम देती है यह एक वैज्ञानिक सच है कि सबसे अच्छी खाद सिर्फ गोबर से ही बन सकती है। हमारी परंपरा के अनुसार अगर किसी त्यौहार के दिन कोई परिजन मर जाए तो वह त्यौहार खोटा माना जाता है इसलिए मनाया नहीं जाता, फिर  उसी त्यौहार के दिन या तो खानदान में बच्चे का जन्म हो या गाय के बच्चा हो तो परिवार में वह त्यौहार फिर से मनाया जाने लगता है। यह उदहारण सिर्फ इस ओर इंगित करता है कि गाय शास्त्रों के अनुसार अपने परिवार का अभिन्न अंग माना गया है इसलिए गाय की पूजा होती है उसी गाय को जब अत्याचार सहना पड़े तो शास्त्रों के अनुसार भगवान को भी अवतार लेना होता है तुलसीकृत रामचरितमानस के अनुसार ” विप्र, धेनु, सुर, संत हित लीन्ह मनुज अवतार ” यानिकी गाय की रक्षा के लिए राम ने अवतार लिया, कृष्ण ने इंद्र की पूजा बंद करवाकर गोवर्धन पर्वत और गोवंश की पूजा की शुरुआत की।गाय में इतना सत्त्व गुण है कि ३३ देवताओं का वास माना गया है। 
  • 0
इतनी महत्ता होने के बावजूद हमारे देश में कई जगह गायें उपेक्षित हैं और कागज़ या प्लास्टिक खाने को मजबूर है यह विडम्बना नहीं तो और क्या है की गायों को सड़क पर भूखों मरने के लिए छोड़ दिया जाता है, यह सरासर गलत है और बूचडखाने तो सारे देश में बंद होने चाहिए ( आश्चर्य है कि धर्म विशेष में गाय का मांस खाना जन्नत का सबब मन गया है यह धर्म नहीं घोर अधर्म है ) साथ ही गाय के संवर्धन के लिए प्रयास होने चाहिए जिससे हमें गायों की संख्या बढाने में मदद मिले। जिस तरह वृक्षारोपण की मुहिम चलती है उसी प्रकार  गोपालन को भी बढ़ावा मिलना निहायत जरूरी है आधुनिक काल में सबसे पहले आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती ने ब्रिटिश राज में १८८२ में गो हत्या का विरोध किया और जनजागृति का बीड़ा लिया। गाँधी जी ने भी गोसेवा को जरूरी बताया था और उस पर कई लेख भी लिखे थे। हिन्दू महासभा ने इसे अपने आन्दोलन में शामिल किया, आज पुनः गाय संरक्षण की आवश्यकता महसूस होती है मानवता के कल्याण के लिए इसका समर्थन और क्रियन्वयन निहायत जरूरी है 
  • 0
What are you looking for?