haaldaar sahab ko konsi baat vichitr aur kotuk hal bhari lagi
मित्र!
आपका उत्तर इस प्रकार है -
हालदार साहब के पूछने पर कि नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया, पान वाले ने कहा कि मास्टर बनाना भूल गया। मूर्ति को मास्टर मोतीलाल, जो कस्बेे का अध्यापक था, ने महीने भर मेहनत से बनाई थी। मास्टर यह तय नहीं कर पाया कि चश्मा कौन सा वाला लगेगा या वो कोशिश करके असफल हुआ किंतु चश्मा नहीं लगा पाया। हालदार साहब के लिए यह बात विचित्र और कौतुक भरी थी।
आपका उत्तर इस प्रकार है -
हालदार साहब के पूछने पर कि नेताजी का ओरिजिनल चश्मा कहाँ गया, पान वाले ने कहा कि मास्टर बनाना भूल गया। मूर्ति को मास्टर मोतीलाल, जो कस्बेे का अध्यापक था, ने महीने भर मेहनत से बनाई थी। मास्टर यह तय नहीं कर पाया कि चश्मा कौन सा वाला लगेगा या वो कोशिश करके असफल हुआ किंतु चश्मा नहीं लगा पाया। हालदार साहब के लिए यह बात विचित्र और कौतुक भरी थी।