i want a letter in hindi on topic the increasing aadhyatmik bhrashtachar plzz help

 

नमस्कार मित्र!
आपको मैं आध्यात्मिक भ्रष्टाचार में लिख कर दे रही हूँ लेकिन आपने यह नहीं लिखा है कि पत्र किसे लिखना है। इसीलिए इस पत्र के रूप में आप स्वयं लिखिएगा। पत्र की सामग्री इस प्रकार है-
आध्यात्मिक भ्रष्टाचार इन दिनों समाज में बढ़ता जा रहा है। भगवान के नाम पर धर्मगुरूओं द्वारा आम जनता की भावनाओं के साथ खेला जा रहा है। आज की भाग-दौड़ वाले जीवन में मनुष्य के मन में शान्ति नहीं है। वह शान्ति की तलाश में धर्म गुरूओं का सहारा लेता है। यदि कुछ को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर धर्म गुरूओं का धर्म से कोई लेना-देना नहीं है। वह जनता को केवल उनका धन लुटने के लिए प्रयोग कर रहे हैं। हर कोई धर्म गुरू बन जाता है। समाज के आगे जब इनका झूठ खुलता है तो जनता स्वयं को ठगा-सा महसूस करती है। गुरू ईश्वर प्राप्ति का मार्ग होता है परन्तु जब गुरू ही भटका हुआ हो तो जनता को भटकाव और धोखे के अलावा कुछ प्राप्त नहीं हो सकता है। यही आध्यात्मिक भ्रष्टाचार कहलाता है।
ढेरों शुभकामनाएँ!

 

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 thanks a lot.

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