Jalvayu Parivartan ke liye Samay Hai per 180 Manas 200 shabdon mein anuchchhed likhen

प्रिय छात्र

आज पूरे संसार में ग्लोबल वार्मिंग का खतरा मंडरा रहा है। पूरे विश्व के वैज्ञानिक इस स्थिति से परेशान है। परन्तु इस स्थिति से निपटना उनके बस की बात नहीं रही है। हम मनुष्य ने अपनी सुविधाओं के नाम पर जो भी कुछ किया है, वह हमारे लिए खतरनाक सिद्ध हो रहा है। वाहनों, हवाई जहाजों, बिजली बनाने वाले संयंत्रों ( प्लांटस), उद्योगों इत्यादि से अंधाधुंध होने वाले गैसीय उत्सर्जन की वजह से कार्बन डायआक्साइड में वृद्धि हो रही है। इन गतिविधियों से कार्बन डायआक्साइड, मिथेन, नाइट्रोजन आक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में बढ़ रही हैं, जिससे इन गैसों का आवरण घना होता जा रहा है। यही आवरण सूर्य की परावर्तित किरणों को रोक रहा है, जिससे धरती के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। ग्लेशियरों की बर्फ बढ़ रहे तापमान से तेज़ी से पिघल रही है। जिससे आने वाले समय में जल संकट खड़ा हो सकता है। जंगलों का बड़ी संख्या में हो रहा कटाव भी इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह है। जंगल कार्बन डायआक्साइड की मात्रा को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करते हैं, लेकिन इनकी अंधाधुंध कटाई से यह प्राकृतिक नियंत्रक भी नष्ट हो रहे हैं। यदि जल्दी नहीं की गई तो हमारे जीवन पर भी सवालिया निशान उठ खड़ा होगा।

जलवायु परिवर्तन इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण है। मौसम के समय में परिवर्तन हो रहा है। कहीं पर मौसम विकराल हो जाता है और कहीं पर उसके होने का ही पता नहीं चलता है। गर्मी में अधिक गर्मी और सर्दी में अधिक सर्दी पड़ रही है। कहीं बरसात के समय में सूखा और गर्मी के मौसम में बरसात हो रही है। लोग इस बदलाव को महसूस कर रे हैं। यह बदलाव प्रकृति और मनुष्य के लिए सही नहीं है। भारत के राज्य उत्तराखण्ड में मानसून 20-25 दिन पहले ही आ गया और इतना विकराल रूप लेकर आया कि केदारनाथ में तबाही मच गई। दो दिन इतनी भयंकर बारिश हुई है कि केदारनाथ तथा उसका आसपास का इलाका तबाह हो गया। यह जलवायु परिवर्तन का उदाहरण है।

धन्यवाद।

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