Kush ki chatai par Purab Muh ,Kali Kamli odhe, balgobin Bhagat apni khanjadi liye Baithe the is vakya Ka Kya abhipray Hai Bal Govind Bhagat path ke Aadhar par Bataye

मित्र,
बालगोबिन भगत सुबह- सुबह उठकर 2 मील दूर नदी में स्नान करके आते थे। कुश की चटाई पर पूरब की ओर मुंह करके काली कमली ओढ़कर बालगोबिन भगत खंजड़ी बजा रहे थे। ठंड बहुत थी। वे संगीत साधना करते थे और इस साधना में डूब जाया करते थे।  वे साधना में इतने लीन हो जाते कि उन्हें सर्दी गर्मी का भी एहसास नहींं होता था।

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