Nibandh on vatavaran mein parivartan???//

मित्र हम आपको इस विषय पर कुछ पंक्तियाँ लिखकर दे रहे हैं। इसे स्वयं विस्तारपूर्वक लिखिए। इस विषय को समझकर लिखने से यह सदैव के लिए आपको याद हो जाएगा और इस तरह आपका लेखन कौशल भी सुधरेगा।

आज पूरे विश्व के लिए ग्लोबल वार्मिंग या भूंडलीय ऊष्मीकरण भंयकर समस्या बनकर उभर रही है। इससे पार पाना लगभग असंभव सा लगा रहा है। पूरे विश्व के वैज्ञानिक इस संकट से परेशान हैं। वे इससे निपटने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं परन्तु इससे निपटना उनके लिए संभव नहीं है। हम मनुष्यों ने अपनी सुविधाओं के नाम पर जो भी कुछ किया है , वह हमारे लिए प्राणघातक सिद्ध हो रहा है। आज वाहनों , उद्योगों आदि से वायुमंडल में अंधाधुंध होने वाले गैसीय उत्सर्जन के कारण कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा में लगातार वृद्धि हो रही है। अन्य और कारणों से भी कार्बन डाईऑक्साइड के साथ - साथ मीथेन , नाइट्रोजन ऑक्साइड इत्यादि ग्रीनहाउस गैसें वायुमंडल में लगातार बढ़ रही हैं। वायुमंडल में इन गैसों का आवरण घना होता जा रहा है। यह आवरण हमारी पृथ्वी में सूर्य की परावर्तित किरणों को रोक रहा है , जिससे धरती के तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। इसे ही हम ग्लोबल वार्मिंग या भूमंडलीय ऊष्मीकरण कहते हैं। जंगलों का बड़ी संख्या में हो रहा कटाव भी इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह है। हमारे जंगल वातावरण में व्याप्त कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित करते हैं। वे कार्बन डाईऑक्साइड को ग्रहण कर ऑक्सीजन देते हैं। वे एक तरह से प्राकृतिक नियंत्रण का कार्य करते हैं। अर्थात वायु को शुद्ध करने में वे सबसे बड़े सहायक हैं। जंगलों की कटाई से यह प्राकृतिक नियंत्रक नष्ट हो रहे हैं। तापमान में हो रही वृद्धि के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में बर्फ तेज़ी से पिघल रही है। इस कारण समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है और आने वाले समय में पीने के पानी के अभाव का खतरा भी मंडरा रहा है। पृथ्वी के मौसम में परिवर्तन और ऋतुओं में भी परिवर्तन को देखा जा सकता है। इस समस्या से निजात पाने के लिए अधिक - से - अधिक पेड़ लगाएँ और कार्बन डाइऑक्साइड तथा अन्य गैसों में हो रही वृद्धि पर रोक लगाएँ। यही एकमात्र उपाय हमारे सम्मुख है , जो हमें बचा सकता है।

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