pitaji ko patra likhiye jisme chatrawas ke anubhav ka varna ho

मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है-

पता ..........
दिनांक ...........

पूज्यनीय पिताजी,
सादर प्रणाम!
मैं यहाँ भगवान की कृपा से कुशलमंगल हूँ। आशा करता हूँ कि आप भी होंगे। होस्टल में अब रहना अच्छा लगने लगा है। जब आया था, तो सोचता था कि कैसे रहूँगा। अब स्थिति ऐसी नहीं है। 

यहाँ का रहन-सहन घर से बिलकुल अलग है। सुबह पाँच बजे उठकर हम लोग नहाते-धोते हैं। साथ में खाते-पीते हैं और तैयार होते हैं। उसके बाद सब विद्यालय पढ़ने जाते हैं। विद्यालय की दिनचर्या पूरी करके हम वापस होस्टल आते हैं और कपड़े बदलते हैं। उसके बाद सब साथ में खाना खाने जाते हैं। वहाँ से खाना खाने के बाद हम कुछ देर सो जाते हैं। दो घंटे सोने के बाद खेलने जाते हैं। कुछ देर बाद हम पढ़ाई करने बैठते हैं और रात के खाने से पहले तक पढ़ते रहते हैं। जब खाना तैयार हो जाता है, तो हम पुनः साथ खाने बैठते हैं। उसके बाद हमारे टी.वी. देखने का समय होता है। साथ में टी.वी. देखते हैं और बहुत मज़े करते हैं। इन सबके अंदर नौ कब बज जाते हैं, पता ही नहीं चलता। यह हमारे सोने का समय होता है। 

आपको यह पढ़कर अच्छा लगा होगा कि यह दिनचर्या मेरे जीवन को किस तरह बदल रही है। अब मेरे जीवन में अनुशासन का बहुत महत्वपूर्ण स्थान हो गया है। इसके अनुसार अब मुझे जीना आ गया है। मुझे ज़रूर लिखिएगा कि आपको यह जानकार कैसा लगा। अब पत्र समाप्त करता हूँ। ​सबको मेरा प्रणाम कहिएगा। 

आपका पुत्र
कौशल  

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